बेकाबू हुई उत्तराखंड में आग, अब मोर्चे पर उतरेगा एयर फोर्स, दो चौपर तैनात
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बागेश्वर में 91 घटनाओं में 125 हेक्टेयर फॉरेस्ट एरिया आग की भेंट चढ़ चुका है.
फॉरेस्ट फायर मान सिंह (Forest Fire Man Singh) का कहना है कि हम ग्राउंड प्लान तैयार कर रहे हैं कि सबसे पहले कहां चौपर को उतारा जाए.
उत्तराखंड में अभी तक 13 सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा आग की चपेट में आ चुकी है. सबसे अधिक चार पहाड़ी जिले आग की चपेट में हैं. सबसे टॉप में है पौड़ी जिला. पौड़ी जिले में सबसे अधिक 338 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल आग की चपेट में आ चुके हैं. दूसरे नंबर पर अल्मोड़ा जिला है. यहां अभी तक 92 फायर इंसीडेंट में 163 हेक्टेयर जंगल आग की जद में आ चुके हैं. पिथौरागढ़ ऐसा तीसरा जिला है, जो जंगलों की आग से जूझ रहा है. यहां फायर इंसीडेंट की 94 घटनाओं में 153 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है. बागेश्वर चौथे नंबर पर है. बागेश्वर में 91 घटनाओं में 125 हेक्टेयर फॉरेस्ट एरिया आग की भेंट चढ़ चुका है.
दस्तावेज और फर्नीचर जलकर राख हो गए
उत्तराखंड में 2002, 2003, 2004, 2005, 2008, 2009, 2012, 2016, 2018 और 2019 ऐसे साल रहे हैं, जब ढाई हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल से अधिक के दायरे में वन संपदा जलकर राख हो गई. 2021 भी धीरे-धीरे सारे रिकॉर्ड तोड़ने की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि, फॉरेस्ट फायर का पीक सीजन अभी शेष है. फारॅरेस्ट फायर के हिसाब से पंद्रह अप्रैल से लेकर 15 जून दो महीने पीक सीजन माना जाता है. लेकिन, जंगल की आग ने शुरूआती सीजन में ही फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पसीने छुडा दिए हैं. जंगल की ये आग पूरी तरह से बेकाबू हो चुकी है. चार लोगों की मौत हो चुकी है. सात मवेशी भी आग की भेंट चढ़ चुके हैं, जबकि 22 मवेशी झुलसकर घायल हो गए. पौड़ी के कोट ब्लॉक में शनिवार को राजकीय प्राथमिक विधालय तुणख्या जलकर राख हो गया. इस विधालय में आठ छात्र हैं. गनीमत ये रही कि कोरोना संक्रमण के चलते उत्तराखंड में बेसिक स्कूल बंद हैं. ये स्कूल भी बंद था. लेकिन, स्कूल के जरूरी दस्तावेज और फर्नीचर जलकर राख हो गया.
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