पहाड़ों में बन रही सड़कों से बढ़ा आपदा का खतरा, निर्माण पर लग सकता है ब्रेक!
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आखिर क्या है पूरा मामला?
वास्तव में, हाई कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो अमित खोलिया ने दायर की थी. इस याचिका में कहा गया कि पर्वतीय क्षेत्रों में मानकों के खिलाफ बन रही सड़कों के कारण डंपिंग ज़ोन में मलबा निस्तारण न होने से जंगल, पर्यावरण, तालाब, नदियों को नुकसान हो रहा है. याचिका में 2013 व 2021 की रैणी आपदा का ज़िक्र करते हुए कहा गया कि ऐसे ही निर्माणों की वजह से आपदा जैसे हालात हल्की बारिश में ही बन जाते हैं. हाईकोर्ट में इस केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि पहाड़ों में अधिकतर सड़कें मानकों के विरुद्ध खोदी जा रही हैं. डम्पिंग ज़ोन के बजाय नदी नालों के साथ जंगलों में मलबा डाला जा रहा है, जिससे आपदा का खतरा कई गुना और बढ जाता है.
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याचिका में मांग की गई कि मानकों को पूरा करने के बाद ही सड़क कटान की अनुमति देने के साथ मलबे का निस्तारण डंपिंग ज़ोन में सुनिश्चित किया जाए. साथ ही, इस याचिका में पहाड़ों में सड़क कटान के लिए वैज्ञानिक अध्ययन करने व 2020 के मोटर व्हीकल अधिनियम संशोधन को लागू करने की मांग की गई है. इस अधिनियम के अनुसार सड़क निर्माण के लिए एजंसियों को इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों का पालन करना अनिवार्य है.
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