नैनीताल में पर्यटन के नाम पर तोड़े जा रहे नियम, हाई कोर्ट ने जताई चिंता और नाराज़गी
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उत्तराखंड में पर्यटकों की भीड़ बढ़ने के बारे में मीडिया में जो रिपोर्ट्स प्रकाशित हुईं, उन पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने न केवल चिंता ज़ाहिर की बल्कि सरकार से कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर वह पर्यटन और स्वास्थ्य संबंधी मामलों में उचित कदम उठाते हुए पुनर्विचार करे. हाई कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख तक राज्य के मुख्य सचिव वीकेंड लॉकडाउन पर निर्णय की जानकारी कोर्ट को दें.
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कोर्ट ने वैक्सीनेशन की जानकारी भी मांगी
हाई कोर्ट ने कोविड को लेकर चल रहीं राज्य भर की तैयारियों को लेकर जवाब तलब किए हैं. स्वास्थ्य सचिव को आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि डेल्टा प्लस के संबंध में इंतजाम क्या हैं व कितने केस मिले हैं, इस बारे में रिपोर्ट कोर्ट को दी जाए. सीएचसी में डॉक्टरों की स्थिति और जूनियर डॉक्टरों के मानदेय बढ़ाने पर भी सरकार को विचार करने के निर्देश कोर्ट ने दिए.
कोर्ट ने कहा कि पर्यटकों से मास्क, निगेटिव रिपोर्ट और सोशल डिस्टेंसिंग संबंधी नियमों का पालन करवाया जाए. (File Photo)
सुनवाई के कुछ खास पॉइंट्स
1. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने मिडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बिना कोविड रिपोर्ट के लोग आ रहे हैं.
2. कोर्ट ने पूछा कि कितने लोगों को 1 डोज लग गई है और कितने लोगों को दोनों डोज वैक्सीन की दी गई है.
3. चारधाम के लाइव दर्शन पर सरकार ने कोर्ट को बताया कि आने वाले दिनों में बैठक होनी है जिसके बाद निर्णय लिया जाएगा.
क्यों हो रही है सुनवाई?
हाई कोर्ट कोरोना से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है तो अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली समेत अन्य ने ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा है कि राज्य में टूरिस्ट अन-कंट्रोल हो गए हैं. कोर्ट से मांग की गई है कि पर्यटन स्थलों पर कोरोना के नियमों का पालन करवाया जाए. साथ ही कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि छूट मिलने के बाद बायोमेडिकल वेस्ट 4 गुना बढ़ा है और निस्तारण के इंतजाम नहीं हैं. याचिका में मांग की गई है कि डेथ ऑडिट में मृत्यु का कारण बीमारी लिखा जाए और पोस्ट कोविड के लिए सभी अस्पतालों में व्यवस्था बनाई जाए.
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