तो तीरथ की त्रासदी की कहानी में विलेन कौन रहा, COVID-19 या कुछ और?
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10 मार्च को जब रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, वह तभी से अपने निजी घर में ही रहे क्योंकि वह कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौर के चलते यह घोषणा कर चुके थे कि मुख्यमंत्री आवास को कोविड केयर सेंटर की तरह इस्तेमाल किया जाए. कोरोना का प्रकोप अपने उतार पर था, लेकिन इससे पहले कि वह आधिकारिक आवास में शिफ्ट हो पाते, मुख्यमंत्री की कुर्सी से ही उनके शिफ्ट होने की नौबत आन पड़ी.
Photo Story : विवादों में रहे 4 महीने के CM तीरथ सिंह रावत, इन बयानों से खूब हुई किरकिरी
पद की शपथ लेने के सिर्फ 12 दिनों बाद ही, खुद रावत 22 मार्च को कोविड संक्रमित हो गए थे और यही समय था, जो उनके लिए राजनीतिक तौर पर त्रासदी साबित हो रहा था. 23 मार्च को ही चुनाव आयोग ने सल्ट विधानसभा उपचुनाव का ऐलान किया. यह वही उपचुनाव था, जिसे केंद्र में रखकर भाजपा ने एक सांसद रहते हुए रावत को मुख्यमंत्री चुना था. लेकिन, हुआ यही कि कोविड के चलते अगले 14 दिनों के लिए रावत को सेल्फ आइसोलेशन में रहना पड़ा.
तीरथ सिंह रावत अपने अटपटे बयानों को लेकर कैसे विवादों में रहे, न्यूज़ 18 पर फोटो स्टोरी के तौर पर आप देख सकते हैं.
30 मार्च इस उपचुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख थी और रावत ने बाद में कहा कि अप्रैल के पहले हफ्ते तक आइसोलेशन के चलते ही वह यह उपचुनाव नहीं लड़ सके. इधर 4 अप्रैल को रावत की रिपोर्ट निगेटिव आई और उधर 17 अप्रैल को भाजपा ने सल्ट उपचुनाव आसानी से जीत भी लिया. इसके बाद, अप्रैल और जून में दो विधानसीटें खाली हुईं, लेकिन चूंकि राज्य के विधानसभा चुनाव में एक साल से कम ही समय रह गया था इसलिए नियमानुसार चुनाव आयोग को उपचुनाव करवाने की अनिवार्यता नहीं थी. इस वजह से भी रावत के लिए रास्ते और कठिन हो गए.
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फिर इस छोटे से कार्यकाल पर एक बड़ा संकट तब मंडराया, जब अप्रैल में राज्य में हुए कुंभ मेले के दौरान फर्जी कोविड टेस्ट संबंधी घोटाले की बात सामने आई. यही नहीं, कोरोना के कहर के दौरान कुंभ मेले का आयोजन ही पहले से आलोचना का विषय बन चुका था.
रावत का कार्यकाल इसलिए भी याद रखा जाएगा कि उन्होंने अजीबोगरीब बयान दिए, जो लोगों के बीच विवाद की वजह बनते चले गए. महिलाओं के रिप्ड जीन्स पहनने पर कमेंट करना, पीएम नरेंद्र मोदी को राम और कृष्ण का अवतार कह देना और सरकारी योजना में ज़्यादा राशन पाने के लिए लोगों को यह ताना देना कि ज़्यादा बच्चे क्यों पैदा नहीं किए… यह रावत के छोटे से कार्यकाल के बड़े पड़ाव रहे.
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