तीरथ सिंह रावत सरकार में मंत्रियों का बढ़ा रुतबा! बदले हालात में दिखने लगे ज्यादा पावरफुल
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तीरथ सिंह रावत सरकार में हालात बदले हुए हैं, विभागों और अधिकारियों के बीच मंत्रियों की पूछ बढ़ गई है
सरकार का मुखिया बदलने से मंत्री राहत की सांस ले रहे हैं. क्योंकि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) हर मंत्री को महत्व दे रहे हैं, और उनका उपयोग भी कर रहे हैं. ऐसे में जो मंत्री तीरथ सिंह रावत सरकार में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे वो अब खुलकर काम कर रहे हैं. सीएम के बदले रुख से अधिकारियों का ढर्रा भी बदला हुआ है. वो मंत्रियों को अब पहले से ज्यादा तरजीह देने लगे हैं
इससे पहले की त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री अपने विभाग के एक छोटे से बाबू तक का ट्रांसफर नहीं कर पाते थे. मंत्रालयों के सचिवों की सीधी रिपोर्टिंग तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को थी. लिहाजा सचिव अपने विभागीय मंत्री को रिपोर्ट करने के बजाय सीधे मुख्यमंत्री दरबार में हाजिरी लगाते थे. कई दफा तो अधिकारी बिना मंत्री को बताए ही छुट्टी या विदेश यात्रा पर चले गए. जिसकी खबर मंत्री को बाद में मीडिया के जरिए हुई. त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में कांग्रेस बैकग्राउंड के ऐसे मंत्री जो वर्ष 2017 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए और जीतने के बाद मंत्री बने, एक तरह से ठंडे बस्ते में थे.
सरकार का मुखिया बदलने से मंत्री राहत की सांस ले रहे
हालात ऐसे थे कि मंत्री मुख्यमंत्री से अधिकारियों की शिकायत करते और मुख्यमंत्री इसे नजरअंदाज कर देते. ऐसे में सरकार का मुखिया बदलने से मंत्री राहत की सांस ले रहे हैं. क्योंकि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत हर मंत्री को महत्व दे रहे हैं, और उनका उपयोग भी कर रहे हैं. ऐसे में जो मंत्री तीरथ सिंह रावत सरकार में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे वो अब खुलकर काम कर रहे हैं. सीएम के बदले रुख से अधिकारियों का ढर्रा भी बदला हुआ है. वो मंत्रियों को अब पहले से ज्यादा तरजीह देने लगे हैं. मंत्री यशपाल आर्य भी दबी जुबान मान रहे हैं कि तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व वाली सरकार में काम करने के तौर-तरीके में बदलाव हुआ है.पूर्व की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, सतपाल माहाराज, यशपाल आर्य और राज्यमंत्री रेखा आर्य की सुनवाई न के बराबर थी. हरक सिंह रावत को उनके विभाग के बड़े अधिकारी रिपोर्ट तक नहीं करते थे. यहां तक कि हरक रावत किसी अधिकारी का ट्रांसफर तक नहीं कर पाते थे. ऐसा ही हाल सतपाल महाराज का था जिनकी बैठक में उनके विभाग के सचिव तक नहीं पहुंचते थे. यही नहीं पर्यटन से संबंधित सरकारी विज्ञापनों से महाराज का नाम और फोटो तक गायब रहता था. कांग्रेस सरकार में अपनी पूरी हनक रखने वाले यशपाल आर्य के कार्यक्रमों में जिलाधिधिकारी समय से नहीं पहुंचते थे. न ही प्रोटोकॉल फॉलो होता था. यहां तक कि रोडवेज के लिए समय से बजट तक नहीं दिया जाता था. राज्यमंत्री रेखा आर्य के अधिकारियों से झगड़े की खबर ने सरकार की खूब छीछालेदर कराई थी.
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