उत्तराखंड

तीरथ सरकार के 100 दिन: जनता के मर्म पर रखा हाथ, सत्ता संभालते ही आमजन को बांटी राहत

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देहरादून. 100 दिन पहले जब तीरथ सिंह रावत ने सूबे की कमान संभाली तो हर कोई नए मुखिया को उम्मीदों भरी निगाहों से देख रहा था. ऐसे में जननायक तीरथ सिंह रावत ने भी आवाम को निराश नहीं किया. अपने शुरूआती फैसलों से ही तीरथ सरकार ने स्पष्ट संकेत दिए कि उनकी सरकार में आवाम ही सर्वोपरि है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण उन्होंने कोविड-महमारी के दौरान 4500 लोगों पर दर्ज मुकदमों को तत्काल वापस कर दिया तो वहीं, लंबे समय से जिन जिला विकास प्राधिकरणों की मनमानियों से लोग परेशान थे, उन्हें भी स्थगित रखने में तीरथ सरकार ने देर नहीं लगाई.

विदित हो कि कोविड महामारी के कारण विगत डेढ़ वर्षों में उत्तराखंड भी खासा प्रभावित रहा है. स्थिति यह रही कि तत्कालीन सरकार को तब कुछ कठोर निर्णय कोविड के चलते लेने पड़े थे. उस समय कोविड के हालातों को देखते हुए समूचे प्रदेश में महामारी एक्ट को लागू किया गया। चूंकि तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आहवान पर लॉकडाउन भी लागू किया गया तो काफी कड़ाई भी पुलिस-प्रशासन के स्तर से बरती जा रही थी. ऐसे में पुलिस की ओर से सड़कों पर बगैर किसी कारण के बाहर आने वाले लोगों पर एक्शन लेते हुए महामारी एक्ट में मुकदमे दर्ज किए गए. इसके तहत पूरे प्रदेश में महामारी एक्ट में 4500 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गए थे लेकिन इन मुकदमों के कारण आमजन को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. इन मुश्किलों से पार पाने के लिए लोगों को रोजाना दो चार होना पड़ रहा था.

4500 लोगों से मुकदमे वापस लिये इस बीच, जैसे ही तीरथ सरकार ने सत्ता की कमान संभाली तो उसने आवाम की इस गंभीर पीड़ा को समझने में देर नहीं लगाई। मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत के आदेशों पर एक पल में पूरे प्रदेश में 4500 लोगों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को वापस ले लिया गया. इसी तरह की एक और समस्या, जो कि आमजन के लिए बड़ी परेशानी का सबब साबित हो रही थी, वह थे जिला विकास प्राधिकरण। जिला विकास प्राधिकरणों की मनमानियों के कारण खासतौर से पर्वतीय जनपदों में लोगों को दिक्कतें हो रही थी। अगर लोग छोटा सा निर्माण भी कर रहे थे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही थी। ऐसे में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को जब जनता के इस कष्ट के बारे में पता चला तो उन्होंने जिला विकास प्राधिकरणों को भी तत्काल स्थगित करने का निर्णय लिया। सरकार के स्तर से शुरुआती दिनों में लिए गए यह दोनों की आमजन के बीच काफी लोकप्रिय साबित हुए। इनसे सीधे तौर पर जनता को राहत मिली।

पत्रकारों के हित में उठाए सराहनीय कदम

तीरथ सरकार ने अपने सौ दिनी कार्यकाल में पत्रकारों के हितों को जो अहमियत इस कार्यकाल में दी गई निसंदेह ही वह अपूर्व और सराहनीय है. इन सौ दिनों में तीरथ सरकार ने राज्य के दिवंगत हुए 18 पत्रकारों को परिजनों की मदद के लिए 90 लाख की राशि स्वीकृत की. इस निर्णय का जिक्र इसलिए भी जरूरी हो जाता है कि क्योंकि पत्रकार कल्याण की दिशा में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. पत्रकारिता को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ कहा जाता है. और निश्चित रूप से वह है भी, क्योंकि लोक कल्याण की दिशाएं निर्धारित करने तथा लोकतंत्र के अन्य स्तंभों को साधे रखने की जिम्मेदारी इसी चैथे स्तंभ पर है. प्रजा और राजा हो या शासन प्रशासन, मीडिया की निगरानी ही इन्हें भटकाव के हालातों से बचाती है. इतिहास गवाह है कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर उत्तराखंड राज्य के आंदोलन के साथ ही हर संघर्ष दौर में यहां के पत्रकारों की अहम भूमिका रही है. यहां पत्रकारिता सदा ही लोक कल्याण के मिशन को लेकर चली है. निजी हितों को दर कर अभावों की जिंदगी जीते हुए भी यहां पत्रकार समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों और निष्ठाओं पर खरे रहे. विषम हालातों में भी समाज और परिवार का संतुलन उनके लिए आसान नहीं रहा तो समाज के इन प्रहरियों में से कुछ हालातों से जूझते हुए असमय ही जिंदगी की जंग हार गए.

18 दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को दी आर्थिक सहायता

उनके परिजनो के सामने विछोह की पीड़ा के साथ आजीविका के लिए संघर्ष की मजबूरी है। पूर्व सरकारों की ओर से थोड़ा बहुत सहानुभति और भावनाओं के वेग जरूर उठते रहे। मगर सच है कि भावनाएं मन को तो कुछ समय के लिए जरूर दिलासा दे सकती हैं, लेकिन पेट की भूख मिटाने वाली रोटी से उसका कोई वास्ता नहीं होता. उसके लिए तो एक ठोस इंतजाम चाहिए होते हैं. और वो इंतजाम कारण चाहे जो भी रहे हों, लेकिन दुर्भाग्य से पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में नहीं हो सके. सीएम तीरथ सरकार ने अपने सौ दिनी कार्यकाल में पत्रकारों के हित में अहम फैसले लिए. उत्तराखंड के 18 दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को पांच-पांच लाख की राशि स्वीकृत की गई. तीरथ सरकार की यह संवेदनशीलता इस बात की तस्दीक करती है कि वह पत्रकार हितों के लिए बेहद संजीदा है। उन्हें कार्यकाल के सफल सौ दिनों की बधाई.

कोरोना का रिकवरी रेट हुआ 95 प्रतिशत से अधिक

इन सौ दिनों में सरकार के लिए कोविड संक्रमण से राज्य को मुक्त करना सबसे बड़ी चुनौती थी, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी हुए. इन सौ दिनों में मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत द्वारा प्रदेश में कोविड महामारी के प्रभाव को कम करने तथा पीड़ितों को त्वरित उपचार एवं आवश्यक सहायता आदि व्यवस्थाओं का निरन्तर अनुश्रवण किया गया. इस दौरान प्रदेश के लगभग सभी जनपदों का भ्रमण कर जनपदों में स्थापित कोविड केयर सेन्टरों, चिकित्सालयों और मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया. सरकार ने अपने कार्यकाल के 100 दिनों में राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं में तेजी से वृद्धि की है. प्रदेश में कोविड संक्रमितों को बेड की कमी नहीं हो, इसके लिए जहां डीआरडीओ के माध्यम से हल्द्वानी और ऋषिकेश में 500-500 बेड के कोविड केयर सेंटर तैयार किए गए वहीं प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद की गईं. उत्तराखंड के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति लगातार सुनिश्चित करवाने के लिए जहां केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई ऑक्सीजन एक्सप्रेस से राज्य सरकार ने आॅक्सीजन मंगवाई वहीं प्रदेश में मरीजों को आॅक्सीजन की कमी का सामना न करना पड़े, इसके लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के कई स्थानों पर आॅक्सीजन प्लांटों की स्थापना की गई. जहां गढ़वाल मंडल में 50 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन को रिजर्व में रखा गया है, जबकि कुमाऊं मंडल में 40 मीट्रिक टन ऑक्सीजन को रिजर्व कोटे में रखा गया है। इसके अलावा 22 अस्पतालों के अंदर छोटे ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा चुके हैं. जबकि 15 नए स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट का प्रस्ताव तैयार हो गया है. हर जिला अस्पताल में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाए जा रहे हैं. प्रदेश के सभी 13 जिलों को अलग-अलग स्थानों पर ऑक्सीजन सप्लाई हेतु फिलिंग प्वाइंट आवंटित कर दिए गए है जिसके जरिए रोजाना 167 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन और आपूर्ति राज्य में हो रही है.

 ई-संजीवनी के तहत 26 हजार 900 टेली कम्युनिकेशन

इसके अलावा भारत सरकार ने दूसरे राज्यों से 60 मीट्रिक टन आवंटित किया है. पिछले केवल एक माह में ही सभी जगह सुविधाएं दस गुना बढ़ गई हैं. जहां मार्च 2020 में ऑक्सीजन सपोर्ट बेड 673 थे, आज बढ़कर 6000, आईसीयू बेड 216 थे आज बढ़कर 1495, वेंटिलेटर 116 थे 983 ऑक्सीजन सिलेंडर 1193 थे आज 10000 से अधिक और कंसन्ट्रेटर 275 थे आज बढ़कर 3400 से अधिक हो चुके हैं. तीरथ सिंह रावत सरकार के 100 दिनों के कार्यकाल में अब तक ई-संजीवनी के तहत 26 हजार 900 टेली कम्युनिकेशन किए गए और इनकी संख्या लगातार बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. इसी प्रकार 104 हेल्पलाइन पर 1 लाख 10 हजार से अधिक कॉल्स अटेंड किए गए कोविड-19 की वेबसाइट के भी आज 9 लाख से अधिक विजिटर्स हैं. राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के सभी लोगों को निशुल्क टीका लगाया जा रहा है, जिनकी आबादी करीब 50 लाख है. इस पर होने वाला लगभग 450 करोड़ का व्यय सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है. प्रदेश में वैक्सीनेशन का कार्य तीव्र गति से जारी है. कोविड पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार द्वारा नई व्यवस्था डिसेंट्रलाइज्ड कोविड केयर सिस्टम लागू की जा रही है, जो शहरी के साथ ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी लागू होगी.

इसके लिए विभिन्न चरणों में प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसके तहत हर ब्लॉक में एक कोविड केयर सेंटर स्थापित किया जा रहा है. साथ ही ब्लॉक में एक कंट्रोल रूम भी होगा, जिसके लिए मैन पॉवर की व्यवस्था की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टेस्टिंग लैब की भी व्यवस्था की जा रही है, जो गांव-गांव जाकर लोगों को सैंपलिंग की व्यवस्था करेगी. यह नहीं बताया जा सकता कि कोविड कब समाप्त होगा, लेकिन इस चुनौती का सामना करने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है. सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में अब कोरोना संक्रमण में काफी हद तक कमी आई है. यह मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत के प्रयासों का ही नतीजा है कि वर्तमान समय में राज्य का रिकवरी रेट 95 प्रतिशत से अधिक तक पहुंच गया है। वर्तमान में सरकार का पूरा जोर महामारी की तीसरी लहर से प्रभावी रूप से निपटने के लिए तैयारियों पर है.

तीरथ सरकार ने दी पर्यटन उद्योग को 29 करोड़ रुपये की संजीवनी

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सरकार के 100 दिन पूरे हो चुके हैं। इन बीते 100 दिनों में तीरथ सरकार ने, न सिर्फ कोरोना संक्रमण की चुनौतियों के बीच पर्यटन को नई दिशा देने के लिए ठोस निर्णय लिए हैं. बल्कि कोविड-19 संक्रमण के दौरान रोजी-रोटी का संकट झेल रहे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को संजीवनी देने का भी काम किया है. कोविड महामारी से बुरी तरह प्रभावित प्रदेश के पर्यटन उद्योग की परेशानियों को समझते हुए तीरथ सरकार पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यवसायियों के लिए 29 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है. इसके तहत पर्यटन उद्योग से जुड़े विभिन्न व्यवसायियों को आर्थिक मदद प्रदान की जाएगी. प्रदेश सरकारी की तरफ से दी जाने वाली यह सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा होगी. कोविड काल में पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यवसायियों को यह सहायता राशि किसी संजीवनी से कम नहीं. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत निर्देशों के बाद पर्यटन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस विशेष सहायता पैकेज में लगभग 50 हजार से ज़्यादा पर्यटन व्यवसायों, कर्मियों और संचालकों को इसका लाभ देने का लक्ष्य रखा है. तीरथ सरकार के इस निर्णय के बाद पर्यटन व्यवसाय से जुड़े इन सभी लोगों को 2500 रुपए प्रति माह की दर से दो माह के लिए 5 हजार प्रति कार्मिक को एक मुश्त आर्थिक सहायता डीबीटी के माध्यम से वितरित की जाएगी यह धनराशि लगभग 25 करोड़ होगी.

वीरचंद्र सिंह गढ़वाली योजना में की जाएगी ब्याज की प्रतिपूर्ति

इसके अलावा इस पैकेज के तहत वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत होम स्टे योजना में 01 अप्रैल से 30 सितम्बर तक ऋण लेने पर ब्याज की प्रतिपूर्ति की जायेगी। इसके लिए कुल दो करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. जबकि सभी पंजीकृत 301 राफ्टिंग, एयरोस्पोर्टस सेवा प्रदाताओं को यूटीडीबी एवं वन विभाग द्वारा ली जाने वाली लाइसेंस नवीनीकरण छूट प्रदान किये जाने का प्रस्ताव है, जिस पर 65 लाख रूपये का व्यय भार होगा. पर्यटन उद्योग को संस्थागत छूट के अन्तर्गत उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद स्तर से छूट प्रदान की जाएगी. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत एडवेंचर टूरिज्म से जुड़े पंजीकृत 631 राफ्टिंग गाइडों भी विशेष ध्यान रखते हुए उन्हें 10 हजार रूपये प्रति गाइड देने का निर्णय लिया है. इस मद में 63.10 लाख रुपये की धनराशि का बजट रखा गया है. 352 टूर ऑपरेटरों को दस हजार रुपये प्रति फर्म डीबीटी के माध्यम से आर्थिक लाभ पहुंचाने का फैसला लिया है. इसके लिए 35.20 लाख रुपये का बजट तैयार किया गया है. जबकि पर्यटन क्षेत्र में पंजीकृत 303 एडवेंचर टूर ऑपरेटरों को 10 हजार रूपये प्रति फर्म देने का फैसला किया गया है. ऐसे व्यवसायियों के लिए 30 लाख रुपये का बजट बनाया गया है. इतना ही नहीं तीरथ सरकार ने पर्यटन विभाग में पंजीकरण और लाइसेंस नवीकरण शुल्क में छूट प्रदान करने का भी बड़ा निर्णय लिया है को कि वर्तमान में 1000 रूपये प्रति आवेदन है। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में छूट पर लगभग 6 लाख का व्ययभार होगा.

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