उत्तराखंड

तीरथ सरकार के मंत्री बोले- ऐसे ईमानदार लोगों को संग्रहालय में रख देना चाहिए 

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लेकिन अब पासा पलट चुका है. त्रिवेंद्र की सीएम पद से विदाई हुई तो उनके दायित्वधारी भी साइड लाइन कर दिए गए.

लेकिन अब पासा पलट चुका है. त्रिवेंद्र की सीएम पद से विदाई हुई तो उनके दायित्वधारी भी साइड लाइन कर दिए गए.

तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने बोर्ड से श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को हटाकर अपने पसंदीदा दायित्वधारी शमशेर सिंह सत्याल (Shamsher Singh Satyal) को इसका अध्यक्ष बना दिया था.

देहरादून. राजनीति में न कोई अपना होता है और न पराया. साम, दाम, दंड  और भेद का खेल है राजनीति. जो इन दिनों उत्तराखंड (Uttarakhand) की सियासत में साफ नजर आ रहा है. याद कीजिए साल 2020 को, जब आचानक से श्रम विभाग के अधीन काम करने वाला उत्तराखंड का कर्मकार कल्याण बोर्ड (Workers Welfare Board) अचानक चर्चाओं में आ गया था. तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने बोर्ड से श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को हटाकर अपने पसंदीदा दायित्वधारी शमशेर सिंह सत्याल (Shamsher Singh Satyal) को इसका अध्यक्ष बना दिया था. सत्याल ने आते ही न सिर्फ पुराना बोर्ड भंग कर दिया गया था. बल्कि कई कर्मचारियों की छुटटी भी कर दी गई थी.

लेकिन अब पासा पलट चुका है. त्रिवेंद्र की सीएम पद से विदाई हुई तो उनके दायित्वधारी भी साइड लाइन कर दिए गए. श्रम बोर्ड में एक बार फिर हरक सिंह की दमदार वापसी हो गई है. डबडबाई आंखों से हरक सिंह कहते हैं कि जिन कर्मचारियों को तब दीवाली के मौके पर हटाया गया, उनके बच्चों की दिवाली कैसे गुजरी होगी. हरक सिंह कहते हैं हटानों वालों पर उनकी हाय लग गई. हरक यहीं नहीं रुके. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत पर निशाना साधते हुए हरक बोले ऐसी ईमानदारी का क्या फायदा, जो किसी का भला न कर सके. ऐसी ईमानदार लोगों को संग्रहालय में रख देना चाहिए. हरक कहते हैं कि ईमानदार होना कोई तमगा नहीं है. ईमानदार तो हर व्यक्ति को होना ही चाहिए.

बाहर का रास्ता दिखा दिया गया
सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल भी हरक सिंह रावत की बात का समर्थन कर रहे हैं. टिहरी में न्यूज 18 संवाददाता सौरभ सिंह के सवालों का जवाब देते हुए सुबोध उनियाल ने कहा कि तत्कालीन समय में एक दुर्भावना के तहत कर्मकार कल्याण बोर्ड से लोग हटाए गए थे. अगर इन लोगों ने गलत काम किया था तो नेचुरल जस्टिस के तहत  उनसे पहले  जवाब तलब किया जाना चाहिए था. बहरहाल, कर्मकार कल्याण बोर्ड एक बार फिर राजनीति का केंद्र बन गया है. हरक सिंह एक बार फिर गददीनसीन हैं. कर्मकार कल्याण बोर्ड में त्रिवेंद्र रावत सरकार में लाई गई सचिव दो दिन पहले ही हटा दी गई हैं. तो अब उन कर्मचारियों के लिए भी द्वार खोल दिए गए हैं, जिनको त्रिवेंद्र सरकार में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.







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