उत्तराखंड

डेढ़ साल की बच्ची ले गया तेंदुआ ढेर, उत्तराखंड में इस साल 7वें आदमखोर का शिकार

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देहरादून. इस साल उत्तराखंड के जंगल काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं क्योंकि जंगलों से सटे रिहायशी इलाकों में जंगली जानवरों का कहर बढ़ता हुआ दिखा. बीते सोमवार को रुद्रप्रयाग में एक तेंदुए को शिकारियों ने मार गिराया क्योंकि वह गांव से एक बच्चे को उठाकर भाग गया था. तीन शूटरों की टीम ने जब इस आदमखोर का शिकार किया तो आंकड़े ने कहा कि इस साल यह सातवां आदमखोर तेंदुआ रहा, जिसे मार गिराया गया. बीते हफ्ते ही देवप्रयाग में एक आदमखोर गुलदार को शिकारियों ने ढेर किया था और न्यूज़ 18 ने इसकी वीडियो रिपोर्ट दी थी.

ताज़ा मामले में बताया जा रहा है कि जखोली तहसील के सिल्ला बहमन गांव में एक तेंदुआ यानी गुलदार शनिवार को आतंक मचाकर डेढ़ साल की एक बच्ची को मुंह में दबाकर भाग गया था. वन विभाग की एक टीम ने इलाके का घेराव कर आदमखोर को तलाशने का अभियान शुरू किया था. दो दिन में जब इस तेंदुए का शिकार कर लिया गया तो एक तरफ गांवों वालों को राहत तो मिली, लेकिन उस बच्ची का कोई पता नहीं चला.

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8 साल की मादा थी आदमखोर!

उत्तरी जखोली इलाके में रेंज अफसर रजनीश लोहानी के हवाले से खबरों में कहा गया कि पीड़ित परिवार को फिलहाल 1.2 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया गया. हालांकि 4 लाख की रकम दी जाती है, लेकिन अभी न तो बच्ची का शव मिला है और न ही खून सने कपड़े जैसे कोई और सबूत इसलिए इस मामले में अभी पूरा मुआवज़ा जारी नहीं किया गया है. वहीं, अब तक 42 आदमखोरों का शिकार कर चुके जॉय हुकील ने बताया कि बच्ची को ले जाने वाली आदमखोर गुलदार की उम्र 8 साल की थी.

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पिछले हफ्ते देवप्रयाग में उस आदमखोर तेंदुए को मारा गया था, जिसने दो महिलाओं पर हमला किया था.

अब तक मारे गए कुल 19

पिथौरागढ़ ज़िलें के दाकुड़ा घाट गांव में तेंदुए के हमले में एक शख्स घायल हुआ था, जिसने सोमवार को दम तोड़ दिया. इस मौत के बाद इस साल तेंदुए के हमले में मारे जाने वाले लोगों की संख्या 19 हो गई. राज्य में पिछले दस दिनों में ही तेंदुओं ने 5 लोगों पर हमला किया. यह भी गौरतलब है कि पिथौरागढ़ में पिछले दिनों 10 साल के एक बच्चे पर हमला करने वाले आदमखोर तेंदुए की तलाश अभी जारी है.

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तेंदुए क्यों हो रहे हैं आदमखोर?

आदमखोर तेंदुओं के हमले और वन विभाग द्वारा उन्हें मारे जाने के बारे में एक वन अधिकारी के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया गया कि इस साल जो छह आदमखोर मारे गए, वो सभी किसी तरह अपंग थे. किसी के पंजे घायल हुए थे तो किसी के दांतों या जबड़ों में चोटें थीं. उत्तराखंड के वन विभाग के मुख्य वाइल्डलाइफ वॉर्डन जेएस सुहाग के अनुसार, ‘इस तरह की अपंगताओं के चलते जानवर स्वाभाविक तौर पर शिकार नहीं कर पाते इसलिए बस्तियों का रुख करके आदमखोर हो जाते हैं.’

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