डिजिटल इंडिया: चीन- नेपाल से सटे इन गांवों में शुरू होगी फोन और इंटरनेट सेवा, जानिए डिटेल
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चीन – नेपाल के इन गांवों में शुरू होगी फोन और इंटरनेट सेवा, अभी तक यूज होती थी विदेशी सिम.
चीन और नेपाल से सटे उन इलाकों को जहां अब तक फोन और इंटरनेट नहीं है, अब वी-सेट के जरिए डिजिटल दुनिया से जोड़ा जा रहा है. भारत सरकार की डिजीटल इंडिया योजना के तहत मुल्क के अंतिम गांवों में पहली बार इंटरनेट ने दस्तक दी है.
पिथौरागढ़. चीन ( China ) और नेपाल ( Nepal) से सटे उन इलाकों को जहां अब तक फोन और इंटरनेट नहीं है, अब वी-सेट के जरिए डिजिटल दुनिया से जोड़ा जा रहा है. भारत सरकार की डिजीटल इंडिया ( Digital India ) योजना के तहत मुल्क के अंतिम गांवों में पहली बार इंटरनेट ने दस्तक दी है. इससे यहां के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी साथ ही भारत को भी फायदा होगा, क्योंकि अभी विदेशी सिम यूज करने से भारतीय करंसी नेपाल चली जाती थी.
इंसान भले ही मंगल पर जीवन तलाश रहा हो, लेकिन धारचूला और मुनस्यारी के अधिकांश इलाके दशकों तक एक अदद फोन के लिए तरस रहे थे. हालात तो ये थे कि बॉर्डर के हजारों ग्रामीण शेष दुनिया से जुडऩे के लिए नेपाल की मोबाइल सेवा के भरोसे थे, लेकिन अब ये सबकुछ इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है. डिजिटल इंडिया योजना के तहत अब बॉर्डर के गांवों को वी-सेट से जोड़ा जा रहा है. वी-सेट से जुडऩे के बाद इन गांवों में वाई-फाई कोड लेकर एक साथ 10 लोग इंटरनेट की दुनिया से जुड़ सकेंगे. एडीएम आरडी पालिवाल का कहना है कि बॉर्डर के गांवों में वी-सेट लगने से जहां लोगों की इंटरनेट की सर्विस मिलेगी, वहीं आपदा के दौरान सूचनाएं भी प्रशासन की जल्द मिल सकेगी.
इंटरनेट की दुनिया से जुडऩे पर इन इलाकों के लोग वट्सएप जरिए वीडियो और ऑडियो कॉल आसानी से कर रहे हैं. यही नहीं स्टूडेट्स स्टडी मटेरियल भी नेट के जरिए तलाश रहे हैं. फिलहाल इस योजना के तहत दारमा के 13, व्यास के 7 , चौंदास के 3 और मिलम घाटी के 12 गांवों में वी सेट लग रहे हैं. बॉर्डर की 2 तहसीलों के अलावा डीडीहाट और बेरीनाग के 2-2, गंगोलीहाट के 3 और पिथौरागढ़ के 4 गांवों में भी वी-सेट स्थापित होने हैं. बालिंग के रहने वाले दिनेश बंग्याल ने केन्द्र सरकार का आभार जताते हुए कहा कि अब उनका गांव भी शेष दुनिया की तरह डिजीटल हो गया है, दुग्तू के शालू दताल कहना है कि वी-सेट लगने से बॉर्डर के लोगों की नेपाल पर निर्भरता खत्म हो गई है. उन्हें लग रहा है कि अब वे भी आत्मनिभर हैं. फोन और इंटरनेट की दुनिया से जुडऩे पर जहां बॉर्डर के इलाकों में क्रांतिकारी बदलाव आएगा, वहीं भारत की करेंसी भी बचेगी. अब तक विदेशी सिम यूज करने के कारण न चाहते हुए भी हर महीने भारत की लाखों की करेंसी नेपाल चली जाती थी.
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