जहां लैंडलाइन कभी नहीं पहुंच सका, बॉर्डर के उस कोने में पहुंचा रिलायंस जिओ नेटवर्क
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दशकों की मांग जिओ ने की पूरीक्षेत्रीय विधायक हरीश धामी ने इलाके को मोबाइल से जोड़े जाने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर में धरना तक दिया था. लेकिन ये इलाका संचार सेवा से नहीं जुड़ सका था. आखिरकार दशकों की मांग रियालंस जिओ ने पूरी की. रिलायंस जियो ने धारचूला तहसील के तल्ला दारमा के दर गांव, चौंदास घाटी के जिप्ति और सिर्खा में 4 जी मोबाइल सेवा शुरू कर दी है. यही नहीं, सोबला में भी मोबाइल टावर तैयार कर दिया है. ये सभी इलाके चाइना बॉर्डर के काफी करीब हैं. इन इलाकों में 4 जी मोबाइल सेवा शुरू होने से स्थानीय लोग तो शेष दुनिया से जुड़ेंगे ही, साथ ही बॉर्डर पर तैनात जवानों को भी लाभ मिलेगा.
पहाड़ी इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की दशकों की मांग पूरी हुई.
तीर्थयात्रियों को भी होगा फायदा मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थ यात्री भी यात्रा के दौरान मोबाइल कनेक्टविटी में रहेंगे. असल में ये इलाके भू-गर्भीय तौर से भी बहुत अधिक संवेदनशील हैं. हर बरसात में यहां आपदा आती रहती है. लेकिन आपदा की सूचना मुख्यालय पहुंचने में काफी समय लगता था. लेकिन अब सूचना पहुंचना मिनटों की बात हो जाएगी. कहां-कहां पहुंच रहा है नेटवर्क? रिलायंस जियो इसके बाद मुनस्यारी तहसील के बोना, बिल्जू और मिलम जैसे बॉर्डर के गांवों को भी 4 जी मोबाइल सेवा से जोड़ने जा रहा है. इन इलाकों में मोबाइल टावर के लिए जमीन मलिकों से साथ एग्रिमेंट हो चुका है. जबकि तहसील मुख्यालय मुनस्यारी में 4 जी मोबाइल लाइन पहुंचा दी गई है. जिप्ति के ग्राम प्रधान धर्मेन्द्र सिंह का कहना है कि उनके इलाके में मोबाइल सेवा का पहुंचना किसी सपने के साकार होने जैसा है. बॉर्डर के लिए ये पल किसी उत्सव से कम नहीं है. धर्मेन्द्र के साथ ही क्षेत्रीय विधायक हरीश धामी ने भी रिलायंस जिओ का आभार जताया. जिन इलाकों में रिलायंस जिओ ने मोबाइल सेवा दी है, उनमें कई इलाके ऐसे हैं, जहां लोग न चाहते हुए भी शेष दुनिया से जुड़ने के लिए नेपाली मोबाइल सिम का इस्तेमाल किया करते थे. नेपाली मोबाइल सिम के इस्तेमाल से जहां भारत को राजस्व का भारी नुकसान होता था, वहीं ये बॉर्डर की सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता था.
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