जलवायु परिवर्तन, पश्चिमी विक्षोभ या दोनों; उत्तराखंड बाढ़ के कारणों का पता लगा रहे हैं वैज्ञानिक
नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन या पश्चिमी विक्षोभ के कारण बर्फ पिघलने से उत्तराखंड के चमोली जिले में बाढ़ आई होगी। यह बात सोमवार को विशेषज्ञों ने कही है जो रविवार को हुए हिमस्खलन तथा बाढ़ के कारणों का पता लगा रहे हैं। इस बाढ़ ने उत्तराखंड में 2013 की त्रासदी से पैदा जख्मों को फिर से हरा कर दिया जब पहाड़ों में भीषण बाढ़ आने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। रविवार को जोशीमठ में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट गया जिससे अलकनंदा नदी एवं उससे जुड़ी अन्य नदियों में भीषण बाढ़ आ गई। सोमवार दोपहर तक 18 शव निकाले जा चुके थे और 202 लोग अभी भी लापता थे।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन का बर्फ एवं हिमस्खलन अध्ययन संस्थान बाढ़ के कारणों का पता लगा रहा है लेकिन ठंड के समय में ग्लेशियर के पिघलने का स्पष्ट कारण पता नहीं चल पा रहा है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के महानिदेशक रंजीत रथ ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि बाढ़ ग्लेशियर झील फटने के कारण आई या भूस्खलन और हिमस्खलन के कारण अस्थायी तौर पर यह घटना घटी।
जल का स्तर कम होने पर क्षति का आकलन करेगी विशेषज्ञों की टीम
रथ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘जल स्तर कम होते ही विशेषज्ञों की टीम क्षति का आकलन करेगी और ग्लेशियर टूटने के कारणों का पता लगाएगी।’’ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर में ग्लेशियोलॉजी एवं हाइड्रोलॉजी के सहायक प्रोफेसर फारूक आजम ने कहा, ‘‘हम कल से ही घटना को समझने का प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल हम यही कह सकते हैं कि ग्लेशियर करीब 500- 600 मीटर से फिसला, जिससे भूस्खलन हुआ और यह आपदा आई।’’ आजम ने कहा कि उपग्रह और गूगल अर्थ तस्वीरों से क्षेत्र में ग्लेशियर झील होने के बारे में पता नहीं चलता है लेकिन संभावना है कि वहां पानी का क्षेत्र हो।
बहरहाल, वैज्ञानिकों ने कहा कि इसके कारणों का पता लगाने के लिए मौसम की रिपोर्ट और डेटा की जरूरत है। आजम ने कहा,‘‘इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इलाके में यह घटना हुई। जलवायु परिवर्तन से मौसम में अव्यवस्थित बदलाव आता है जिससे बर्फबारी और बारिश में वृद्धि होती है। सर्दियों में तापमान ज्यादा रहने से बर्फ के पिघलने का गलन हिमांक बढ़ जाता है।