उत्तराखंड

ग्रामीणों ने मांगी बेहतर चिकित्सा सेवा, विधायक ने करवाई FIR, नैनीताल हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

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नैनीताल हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए विधायक देशराज बर्नवाल, डीएम और सीएमओ से जवाब मांगा है

नैनीताल हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए विधायक देशराज बर्नवाल, डीएम और सीएमओ से जवाब मांगा है

गांव के एक व्यक्ति द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका (PIL) में कहा गया है कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा को लेकर जब स्थानीय विधायक देशराज कर्णवाल (Deshraj Karnwal) से बात की गई तो उल्टा उन्होंने गांव के लोगों पर एफआईआर दर्ज कर दी. ग्रामीणों का आरोप है कि इस दौरान विधायक ने उनके लिए जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया

नैनीताल. उत्तराखंड के नैनीताल जिले के ग्रामीण इलाके स्वास्थ्य की दृष्टि से खासे पिछड़े हुए हैं. यहां के झबरेड़ा के भक्तोंवाली गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली को लेकर हाईकोर्ट (High Court) में दाखिल याचिका की गई है. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्थानीय विधायक देशराज कर्णवाल (Deshraj Karnwal), जिलाधिकारी (डीएम) और चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) हरिद्वार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षकारों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट से विधायक द्वारा ग्रामीणों के विरुद्ध दर्ज कराए गए एफआईआर (FIR) की जांच कराने और गांव में अस्पताल की सुविधा देने की मांग की गई है.

इस मामले में केस लड़ रहे वकील योगेश पंत ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान गांव के पास यही एक सेंटर है जिसमें इलाज किया जा सकता है, और इसी की मांग को लेकर ग्रामीण विधायक से मिले थे जिसमें विधायक द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है. हमने कोर्ट से मांग की है कि इस अस्पताल में सुविधा दी जाए ताकि गांव के लोगों को इलाज के लिए बीस किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़े. बुधवार को कोर्ट ने इस पर नोटिस जारी किया है, अब सरकार और डीएम-सीएमओ के जवाब का इंतजार है.

विधायक से ग्रामीणों ने मांगी अस्पताल में सुविधा तो दर्ज हुई FIR

दरअसल झबरेड़ा भक्तोंवाली गावं के निवासी अभिषेक ने हाईकोर्ट के जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि गावं में मौजूद पीएचसी सेंटर की हालत खराब है. बदहाल पड़े स्वास्थ्य सेंटर के बारे में अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया लेकिन अब तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. याचिका में कहा गया है कि इसे लेकर जब स्थानीय विधायक देशराज कर्णवाल से बात की गई तो उल्टा उन्होंने गांव के लोगों पर एफआईआर दर्ज कर दी. ग्रामीणों का आरोप है कि इस दौरान विधायक ने उनके लिए जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया.अभिषेक द्वारा दाखिल की गई इस याचिका में कहा गया है कि विधायक प्राइवेट अस्पताल को प्रमोट कर रहे हैं जबकि गरीब निजी अस्पताल में इलाज नहीं करवा सकते. उन्हें इलाज के लिए बीस किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. इसमें यह भी कहा गया है कि विधायक द्वारा अपने फंड से 60 ऑक्सीजन सिलेंडर प्राइवेट अस्पताल को दिये गये हैं. याचिका में मांग की गई है कि तीसरी लहर से पहले सरकारी अस्पताल में सभी सुविधा दी जाए और विधायक द्वारा दर्ज शिकायत को निरस्त (रद्द) कर पूरे मामले की जांच की जाए.





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