गंगा नदी को बचाने 8 मार्च से जल और कुंभ के दौरान शरीर त्याग का ऐलान, अनशन पर बैठे संत ने दी चेतावनी
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गंगा संरक्षण के लिए संत आत्मबोधानंद का बड़ा फैसला: 8 मार्च से जल त्याग देंगे और कुंभ के दौरान शरीर.
Ganga River Conservation: पर्यावरण संरक्षण को समर्पित संस्था मातृ सदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद सरस्वती के 26 वर्षीय शिष्य ब्रह्मचारी संत आत्मबोधानंद ने गंगा संरक्षण से जुड़ी चार मांगों को लेकर सरकार को दी चेतावनी.
अनशनरत संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद लम्बे समय से पर्यावरण को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. प्रसिद्ध पर्यावरणविद दिवंगत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की चार मांगों, गंगा तथा अलकनंदा और भागीरथी जैसी उसकी सहायक नदियों पर सभी निर्माणाधीन और प्रस्तावित बांधों को रद्द करने, खनन तथा नदी में स्टोन क्रशर की अनुमति बंद करने तथा गंगा भक्त परिषद के गठन—को लेकर आत्मबोधानंद ने 23 फरवरी से अनशन शुरू किया था.
यहां मातृ सदन आश्रम में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने उत्तराखंड सरकार को हठधर्मी बताया है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी मांगों पर हठधर्मिता दिखाते हुए उत्तराखंड सरकार ने बिना उनसे कोई वार्ता किए 25 फरवरी से गंगा नदी में खनन कार्य शुरू करा दिया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार के इस कदम के विरोध में उन्होंने आठ मार्च से जल त्यागने का निर्णय लिया है . उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानेगी तब तक बिना जल के ही तपस्या जारी रखेंगे.
सरकार माफियागिरी कर रही, वह साधुगिरी के लिए मजबूर हैंउन्होंने कहा कि गंगा रक्षा के लिए वे अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा, ‘ उत्तराखंड सरकार माफियागिरी कर रही है और इसके कारण वह साधुगिरी करने के लिए मजबूर हैं.’ इस मौके पर स्वामी शिवानंद ने घोषणा की है कि कुंभ के दौरान वह अपना शरीर छोड़ देंगे, लेकिन इसके पूर्व अनेक प्रमाण छोड़ जाऐंगे. प्रमाण छोडऩे से दुनिया के सामने सरकार और खनन माफियाओं की सच्चाई सामने आ जाएगी. स्वामी सानंद ने भी इन्हीं मांगों को लेकर अनशन किया था और लंबे अनशन के बाद 2018 में उनका निधन हो गया था.
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