उत्तराखंड

खुशी के रंग में डूबा नैनीताल, सैलानी भी उठा रहे यहां की सांस्कृतिक होली का मजा

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होली के रंगों में डूबी सरोवर नगरी, सैलानी भी पहाड़ पर पहुंचे हैं होली मनाने.

होली के रंगों में डूबी सरोवर नगरी, सैलानी भी पहाड़ पर पहुंचे हैं होली मनाने.

नैनीताल में होल्यारों ने होली के रंग जमा दिए हैं. 20 मार्च से चल रहे होली महोत्सव के समापन के दौरान होल्यारों ने नगर में होली का जुलूस निकाला.  इस दौरान फाग के रागों के साथ अबीर गुलाल की रंगीन रौनक देखने को मिली.

नैनीताल. सरोवर नगरी नैनीताल ( Nainital) में जमकर अबीर गुलाल उडऩे लगे हैं. यहां होल्यारों ने होली के रंग जमा दिए हैं. 20 मार्च से चल रहे होली महोत्सव ( Holi Festival) के समापन के दौरान होल्यारों ने नगर में होली का जुलूस निकाला.  इस दौरान फाग के रागों के साथ अबीर गुलाल की रंगीन रौनक देखने को मिली. होल्यारों ने शहर भ्रमण के दौरान जमकर होली के गीत गाए. इस पर पर्यटकों ( Tourist) ने जमकर आनंद उठाया. होली जुलूस के दौरान आम से लेकर खास सभी रंगों में रंगे नजर आए.

होली महोत्सव के समापन के दौरान होली आयोजक राम सेवक सभा के महासचिव जगदीश बवाड़ी ने कहा कि इस बार कोरोना के चलते होली का रंग फीका जरुर है, लेकिन कोरोना के नियमों का पालन करते हुए होली खेली जा रही है. अगले साल जल्द होली आए और कोरोना जैसी बीमारी को दूर होकर होली खेल सकें. वहीं, होल्यार कमलेश ढौंडियाल ने कहा कि होली आपसी उत्साह उमंग और भाईचारे का पर्व है, जिसको नैनीताल में सभी वर्गों के लोग मिलकर खेलते हैं.

पर्यटकों में भी होली को लेकर उत्साह

नैनीताल में होली को लेकर पर्यटकों में भी खासा उत्साह है. पिछले दिनों से चल रही होली में पर्यटक भी मस्ती कर रहे हैं, तो पहाड़ के कल्चर को भी पर्यटक यहां आकर जान रहे हैं. होली के दौरान तीन दिनों की छुट्टी के बाद पर्यटक काफी संख्या में नैनीताल पहुंचे हैं. इससे पर्यटन कारोबार को भी बेहतर कारोबार की उम्मीद है. नैनीताल पहुंची गुजरात की पर्यटक सुपर्णा ने कहा कि होली और छुट्टी एक साथ मिली और पहाड़ों से बेहतर स्थान होली के लिये क्या हो सकता है. यहां आकर होली को इंजाय कर रहे हैं. पर्यटक आदित्य कहते हैं कि पिछले एक साल से बाहर नहीं निकले थे. अब छुट्टी लेकर पहाड़ आए हैं और इस दौरान यहां की संस्कृति को भी जानने का मौका मिलेगा.हांलाकि पर्यटन कारोबारी और होटल एसोसिएशन नैनीताल के उपाध्यक्ष दिग्विजय बिष्ट कहते हैं कि 15 दिनों पहले ही इसकी बुकिंग हो गई थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के डर से कई लोगों ने अपने टूर को कैंसिल कर दिया है. इससे नुकसान होगा.  दिग्विजय बिष्ट कहते हैं कि सरकार को चाहिये कि वो कोविड़ गाइड़लाइन को साफ करें कि क्या नियम हैं यहां आने के लिये, जिससे कारोबार ठीक से चल सके.  बिष्ट कहते हैं कि लोगों में कभी भी लॉकडाउन होने का डर है इसलिए वे घर से नहीं निकल रहे.







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