उत्तराखंड

कांवड़ यात्रियों को करना पड़ेगा फिर एक साल इंतजार, इस बार भी कांवड़ यात्रा कैंसिल

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देहरादून. पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा के करोड़ों शिव भक्तों को इस बार सावन में कांवड़ भरने का सौभाग्य नहीं मिल सकेगा. कोरोना के खतरे को देखते हुए लगातार दूसरे साल सरकार ने कांवड़ यात्रा कैंसिल करने का फैसला किया है. सावन महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा करीब 15 दिन चलती है, जिसमें आसपास के राज्यों से करीब 1 करोड़ लोग पहुंचते हैं. लेकिन इस बार भी सावन में हरिद्वार, ऋषिकेश से लेकर गौमुख तक सन्नाटा पसरा रहेगा.

सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए यह फैसला किया गया है. उन्होंने कहा की कावड़ में हर साल करीब एक करोड़ श्रद्धालु आते हैं, ऐसे में कोरोना का खतरा बरकरार है. इसलिए सरकार ने कावड़ यात्रा कैंसिल करने का फैसला किया है.

12 साल में होने वाला हरिद्वार का कुंभ भी इस बार कोरोना की वजह से फीका रहा. पहले कुंभ में कोरोना के डर से कारोबार का नुकसान हुआ, वहीं अब कांवड़ कैंसिल होने का असर हरिद्वार-ऋषिकेश में बिजनेस करने वालों पर पड़ेगा. सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल का कहना है कि जिंदगी रहेगी तो बिजनेस भी होगा. हजारों लोगों की जान को खतरे में नहीं डाला जा सकता.

उत्तराखंड में अब भी दूसरे राज्य से आने पर rt-pcr रिपोर्ट दिखाना जरूरी है, ताकि कोविड के केस न बढ़ें. इसी को देखते हुए सावन में होने वाली कांवड़ यात्रा को कैंसिल किया गया है और शिव भक्तों को फिर एक साल कांवड़ यात्रा के लिए इंतजार करना होगा.

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