एयर पिस्टल शूटिंग में भारत को मेडल दिलाने वाली खिलाड़ी सड़क पर बेच रही नमकीन
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आर्थिक संकट में घिरी पैरा एयर पिस्टल शूटर दलजीत कौर जीवन-यापन के लिए सड़क किनारे स्टॉल लगाकर छोटा-मोटा सामान बेच रही हैं
दलजीत कौर (Daljeet Kaur) का कहना है कि उत्तराखंड में खेल की कोई कद्र नहीं. सरकार अगर चाहती तो उन्हें पैरा खिलाड़ी होने के नाते नौकरी दे सकती थी लेकिन उनकी आज तक किसी ने सुध नहीं ली. एम.ए, एल.एल.बी की डिग्री होने के बावजूद उन्होंने नौकरी के लिए कई जगह अप्लाई किया लेकिन हर जगह निराशा मिली.
देहरादून. अपनी प्रतिभा से भारत का नाम रोशन करने वाली इंटरनेशनल पैरा एयर पिस्टल शूटर दलजीत कौर (Daljeet Kaur) बदहाली का शिकार हैं. नेशनल शूटिंग कम्पटीशन में 24 गोल्ड मेडल, आठ सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को सिल्वर मेडल दिलाने वाली दलजीत कौर सड़क पर नमकीन बेचने को मजबूर हैं. कोरोना काल (Corona Virus) में आर्थिक संकट से जूझ रही दलजीत को अपना और अपनी मां का पेट पालने के लिए देहरादून (Dehradun) के गांधी पार्क के बाहर नमकीन बेचना पड़ रहा है.
दलजीत बताती हैं कि जब तक उनके पिता और भाई थे, उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपना सपना पूरा किया. लेकिन पिता और भाई का साया छिनने के बाद वो और उनकी मां आर्थिक रूप से कमजोर हो गई हैं. सरकार ने न तो उनके हुनर की कद्र की, न ही देश का प्रतिनिधित्व करने पर सम्मान दिया. इसलिए आज हालात यह है कि वो मकान का किराया तक नहीं भर पा रही हैं. उनका कहना है कि उत्तराखंड में खेल की कोई कद्र नहीं. सरकार अगर चाहती तो उन्हें पैरा खिलाड़ी होने के नाते नौकरी दे सकती थी लेकिन उनकी आज तक किसी ने सुध नहीं ली. एम.ए, एल.एल.बी की डिग्री होने के बावजूद दलजीत ने नौकरी के लिए कई जगह अप्लाई किया लेकिन हर जगह निराशा मिली.
दिलजीत के मुताबिक उनके बीमार पिता और भाई के इलाज में उनकी सारी जमा-पूंजी खर्च हो गयी. आज हालात ऐसी हो गई है कि उन्हें दो जून की रोटी नहीं नसीब हो पा रही, इसलिए उन्होंने सड़क के किनारे छोटा-मोटा सामान बेचना शुरू कर दिया है. वो सरकार से यह मांग कर रही हैं कि वो उनकी सुध ले.
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