उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले क्या है बीजेपी का प्लान? पहले सीएम, आज मंत्रिमंडल और फिर किसे बदलने की है तैयारी
[ad_1]

उत्तराखंड की बागडोर तीरथ सिंह रावत के हाथ में आई तो मंत्रिमंडल में फेरबदल की कयास तेज होने लगे और आज उसी क्रम में मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा.
Uttarakhand News: बंसीधर भगत को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर कैबिनेट मंत्री का पद मिल सकता है और हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक को मंत्री पद से हटाकर प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी जा सकती है.
बंसीधर भगत को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर कैबिनेट मंत्री का पद मिल सकता है और हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक को मंत्री पद से हटाकर प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी जा सकती है. आपको बता दें कि त्रिवेंद्र सरकार में शामिल नौ मंत्रियों में पांच मंत्री पद कांग्रेस से आए नेताओं को दिए गए थे. बदले राजनीतिक समीकरणों के बीच अब ये चर्चाएं जोरों पर हैं कि कांग्रेस से आए कुछ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. वहीं दूसरी तरफ ये संकेत भी मिल रहे हैं कि जिन सीनियर नेताओं को त्रिवेंद्र सरकार में तरजीह नहीं मिली थी, उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.
किसको मिल सकता है मंत्री पद
तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल में जिनको जगह मिल सकती है ऐसे नेताओं में डीडीहाट विधानसभा से लगातार 5 बार विधायक रहे पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल का नाम सबसे आगे है. इसके साथ बंसीधर भगत को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर कैबिनेट मंत्री का पद मिल सकता है. साथ ही बागेश्वर के विधायक चंदन राम दास, बलबंत भोर्याल और चंद्रा पंत को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावनाएं हैं.जानें तीरथ सिंह रावत के बारे में
तीरथ सिंह को एक सादगी भरे व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है जिनके पास कोई भी अपनी बात को लेकर सीधे पहुंच सकता है. फरवरी, 2013 से लेकर दिसंबर 2015 तक उनके प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान उनकी इसी खूबी ने उन्हें कार्यकर्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय बनाया. पौड़ी जिले में स्थित उनके चौबट्टाखाल क्षेत्र के लोग भी उनकी इसी खूबी के कायल हैं, जहां के घर-घर में वह एक जाना-पहचाना नाम हैं. तीरथ सिंह की इस खूबी के पीछे उनका संघ से लंबा जुडाव भी माना जाता है. नौ अप्रैल 1964 को पौड़ी जिले के सीरों गांव में जन्मे तीरथ सिंह 1983 से 1988 तक संघ प्रचारक रहे. उनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई जिसमें उन्होंने उत्तराखंड में संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री का पद भी संभाला.
तीरथ सिंह हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद 1997 में वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य भी निर्वाचित हुए. वर्ष 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद बनी राज्य की अंतरिम सरकार में वह राज्य के प्रथम शिक्षा मंत्री बनाए गए थे। वर्ष 2002 और 2007 में वह विधानसभा चुनाव हार गए थे। हालांकि, 2012 में वह चौबट्टाखाल सीट से विधायक चुने गए. 2017 विधानसभा चुनाव में तत्कालीन विधायक होने के बावजूद उन्हें भाजपा का टिकट नहीं मिला और कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए सतपाल महाराज को उनकी जगह चौबट्टाखाल से उतारा गया. हालांकि, बाद में भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाकर उनकी नाराजगी दूर की.
इस बीच, 2019 के लोकसभा चुनावों में उनके राजनीतिक गुरु खंडूरी के चुनावी समर में उतरने की अनिच्छा व्यक्त करने के बाद भाजपा ने उन्हें पौढ़ी गढ़वाल सीट से टिकट दिया और वह जीतकर पहली बार संसद पहुंचे. लोकसभा चुनाव में तीरथ सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी और खंडूरी के पुत्र मनीष को 302669 मतों के अंतर से शिकस्त दी. नौ अप्रैल 1964 को पौड़ी जिले के सीरों गांव में एक साधारण परिवार में जन्मे तीरथ सिंह ने समाजशास्त्र से एमए तथा पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया है.
[ad_2]
Source link