उत्तराखंड

उत्तराखंड: ब्रह्मदेव एलिफेंट कॉरिडोर के पार्किंग टेंडर पर रोक, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

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ब्रह्मदेव एलिफेंट कॉरिडोर को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,

ब्रह्मदेव एलिफेंट कॉरिडोर को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,

Nainital News: पार्किंग के टेंडर (Parking Tender) पर रोक लगाने के साथ ही हाईकोर्ट (High Court) ने रकार सचिव वन, सचिव वित्त, डीएम, एसडीएम समेत अन्य को नोटिस जारी 23 मार्च तक जवाब मांगा है. 

नैनीताल. पूर्णागिरी धाम के पास बुम ब्रह्मदेव एलिफेंट कॉरिडोर (Elephant Corridor) में पार्किंग के टेंडर पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. साथ ही चीफ जस्टिस कोर्ट ने सरकार सचिव वन, सचिव वित्त, डीएम एसडीएम समेत अन्य को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सभी पक्षकारों को 23 मार्च तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. 24 मार्च को इस मामले की अगली सुनवाई होगी. कोर्ट ने पूछा है कि अगर वन विभाग ने आपत्ति दर्ज की है तो कैसे इस पार्किंग का टेंडर किया जा रहा है.

ये है मामला

दरअसल, अमित खोलिया समेत अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि 3 फरवरी को एलिफेंट कॉरिडोर की जमीन पर टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई. इसमें 29 मार्च से एक साल के लिए पार्किंग का संचालन का टेंडर किया जाना है. याचिका में कहा गया है कि पूर्व में हाईकोर्ट में सरकार खुद कह चुकी है कि इस वन भूमि में किसी भी तहर से पार्किंग नहीं की जाएगी. याचिका में कहा गया है कि इसके पास राजस्व की जमीन है. लेकिन जिला प्रशासन उस जमीन के बजाए एलिफेंट कॉरिडोर की जमीन पर पार्किंग का ठेका देने जा रहा है. हांलाकि इस मामले में वन विभाग ने भी 21 फरवरी को आपत्ति दर्ज की है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया जारी है.

हैड़खान मंदिर मामले में भी कोर्ट ने दिया ये निर्देशवहीं हल्द्वानी के हैड़खान आश्रम के केदारनाथ मंदिर की जमीन पर निर्माण पर हाईकोर्ट ने डीएम और जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल को आदेश दिया है कि वो मौके का निरिक्षण करें. अगर निर्माण करने वाला जमीन का स्वामी नहीं है तो इस निर्माण को सीज किया जाए. कोर्ट ने 23 मार्च तक रिपोर्ट कोर्ट में फाइल करने का आदेश दिया है. आपको बता दें कि शिव शंकर समेत अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि कुछ लोग जमीन पर दुकानों का निर्माण कर रहे हैं. जब्कि ये जमीन रिकॉर्ड में 1872 से हैड़ाखान विराजमान महाराज के नाम सरकार ने ग्रांट की है.

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इसमें यहां आने वाले साधुओं के लिए खेती अनाज उत्पादन किया जाना था लेकिन कुछ लोगों द्वारा इस पर बिना अनुमति के दुकानों का निर्माण किया जा रहा है जब्कि ग्रामीणों ने विरोध किया तो दिनेश सुयाल के नाम पर अनुमति बनाकर काम फिर शुरू कर दिया गया है. याचिका में दुकानों का निर्माण रोकने की मांग कोर्ट से की गई है.






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