उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड: सतपाल महाराज के बयान पर भड़के तीर्थ पुरोहित, लगाया बड़ा आरोप
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देवस्थानम बोर्ड को लेकर फिर विवाद.
Devasthanam Board Dispute:उत्तराखंड के चारों धामों समेत 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में लेने वाले देवस्थानम बोर्ड (Devasthanam Board) को लेकर एक बार फिर माहौल गरमा गया है. धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) के देवस्थानम बोर्ड को यथावत रखने की बात पर चारोधामों के तीर्थ पुरोहितों में काफी नाराजगी है.
देहरादून. उत्तराखंड के धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) के देवस्थानम बोर्ड (Devasthanam Board) को बनाए रखने के बयान से गढ़वाल के तीर्थ पुरोहित भड़के हुए हैं. इसी साल मार्च में शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (CM Tirath Singh Rawat) ने अपने पूर्ववर्ती सीएम त्रिवेन्द्र रावत द्वारा लाए गए देवस्थानम बोर्ड को वापस लेने का आश्वासन दिया था. त्रिवेन्द्र रावत ने जबरदस्त विरोध के बावजूद बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमनोत्री, गंगोत्री समेत 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में लेने वाले देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी. मार्च में त्रिवेन्द्र की जगह सीएम बने तीरथ रावत ने जनता का मूड भांपते हुए बोर्ड के अधीन मंदिरों को हटाने की बात कही थी. लेकिन अब धर्मस्व मंत्री का कहना है कि बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे धाम पहले टैम्पल बोर्ड कमेटी में थे. अब देवस्थानम का हिस्सा हैं, इसमें नया क्या है.
सतपाल महाराज यहां तक कहते हैं कि मुख्यमंत्री को शुरुआत के देवस्थानम बोर्ड को लेकर पूरी जानकारी नहीं थी. सीएम रावत समझते थे कि चारोधामों के अलावा भी अन्य मंदिर इसमें शामिल हैं. पर्यटन मंत्री का कहना है कि ये मंदिर बद्रीनाथ केदार नाथ परिसर के ही मंदिर हैं. ये बात सीएम को स्पष्ट कर दी गई है. हालांकि, वो ये भी जोड़ते हैं कि अंतिम फैसला तो मुख्यमंत्री को ही लेना है.
जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, देवस्थानम बोर्ड कानून के तहत गठित हुआ है. कानून के जानकार बताते है कि बोर्ड को यूं ही वापस नहीं लिया जा सकता है. ये बात जब सरकार के समझ में आई तो मंत्री के सुर बदल गए. इस सबके बीच विपक्षी कांग्रेस को मौका मिल गया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि सरकार में तालमेल नहीं है. मुख्यमंत्री कुछ बोलते हैं और उनके मंत्री कुछ और बोलते हैं.उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड का विरोध इस कदर रहा है कि बीजेपी के कद्दावर नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने त्रिवेन्द्र सरकार को कोर्ट में घसीट दिया था. वहीं सीएम तीरथ ने जब बोर्ड को लेकर पुनर्विचार की बात कही तो उनके बयान को हाथों हाथ लिया गया.
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