उत्तराखंड के जंगलों में आग मामला: HC ने पूछा- भारतीय सेना से मदद मांगी है कि नहीं?
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उत्तराखंड के जंगलों में भड़क रही आग पर नैनीताल हाईकोर्ट प्रमुख वन संरक्षक के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ
Uttarakhand News: नैनिताल हाईकोर्ट में फॉरेस्ट चीफ ने बताया कि आग बुझाने के लिए वन कर्मियों को लगाया गया है और 65 प्रतिशत फ़ॉरेस्ट गार्ड के पद खाली हैं. आग पर काबू पाने के लिए काउंटर फायर का इस्तेमाल करते हैं.
कोर्ट में फॉरेस्ट चीफ ने बताया कि 1645 हेक्टेयर वन भूमि में आग लगी है और आग बुझाने के लिए वन कर्मियों को लगाया गया है और 65 प्रतिशत फ़ॉरेस्ट गार्ड के पद खाली हैं और आग पर काबू पाने के लिए काउंटर फायर का इस्तेमाल करते हैं. कोर्ट ने फॉरेस्ट चीफ राजीव भरतरी के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखी और कोर्ट ने पूछा कि अगर हर साल आग की घटनाएं हो रही है तो क्यों उन्हें रोकने के लिए कार्ययोजना तैयार नहीं कि क्यों चॉपर और ग्लाइडर कैमिकल से छिड़काव किया जा सकता है. कोर्ट ने गंभीर रुख अख्तियार कर कहा कि वाइल्ड लाइफ और ग्रीन एरिया लॉस हो रहा है और लोग भी धुएं से परेशान हैं.
मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि आग अगर हर साल लगती है तो सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठती? हाईकोर्ट ने कहा कि इस आग के धुएं से कोरोना मरीजों को भी दिक्कतें हो सकती हैं. इतना ही नहीं आग को नियंत्रण करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं इसके बारे में कोर्ट ने पूछा था.
वहीं आग बुझाने में हेलीकॉप्टर से ली जा रही मदद की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी साझा किया जिसमें भारतीय वायु सेना के एमआई हेलीकॉप्टर टिहरी झील से पानी लेने के बाद उड़ान भरते दिखाई दिए.प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं में बढ़ोतरी को देखते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से रविवार को मदद की गुहार लगाई थी जिसके बाद उन्होंने तत्काल दो हेलीकॉप्टर भेजे थे. प्रदेश को हर संभव मदद का आश्वासन देते हुए शाह ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें भी उत्तराखंड भेजी जाएंगी.
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