उत्तराखंड की तीरथ सरकार पलटेगी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कई फैसले!
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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पिछली सरकार के विवादित फैसलों पर गौर करना शुरू कर दिया है. (फाइल फोटो)
देवस्थानम बोर्ड के गठन से बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री समेत 55 मंदिर सरकारी नियंत्रण में आ गए थे. इस फैसले से बीजेपी की खासी किरकिरी हुई थी.
तीरथ सरकार का दांव
शनिवार को एक सवाल के जवाब में सीएम तीरथ सिंह ने कहा कि उनकी सरकार पब्लिक सेंटीमेंट का सम्मान करेगी. मंगलवार को उत्तराखंड के 10वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद तीरथ ने शुक्रवार को सरकार में 11 मंत्री शामिल किए हैं. सरकार का फोकस नया काम शुरू करने से पहले उन कामों को ठीक करने का है. जो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लागू किए थे और उनका व्यापक विरोध हो रहा था.
ये थी वजह देवस्थानम बोर्ड के विरोध कीदरअसल पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इसी हफ्ते हटाए गए हैं. वह अपने कुछ ऐसे फैसलों को लेकर लगातार विवाद में रहे. इन मुद्दों पर उन्हें न तो विधायकों का सपोर्ट मिला और न ही जनता का. इनमें सबसे बड़ा फैसला था चारधाम समेत गढ़वाल क्षेत्र के 55 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में लेने का. तमाम विरोध के बावजूद त्रिवेंद्र सरकार ने इसको लेकर देवस्थानम बोर्ड का गठन किया. जिस पर बीजेपी के ही नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सरकार को कोर्ट में भी घसीटा. मंदिरों से जुड़े पुरोहितों का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड उनके अधिकारों को छीनने की एक साजिश है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे से बीजेपी के मंसूबों पर पानी फिरने का अंदेशा था. सीएम का कहना है कि वह उसमें तीर्थ पुरोहित समाज के साथ बात करेंगे और कोई बीच का रास्ता निकाला जाएगा.
नेगटिव कोविड रिपोर्ट अब जरूरी नहीं
हरिद्वार में चल रहे कुंभ को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने कड़े फैसले लागू किए थे. जिसमें सभी यात्रियों से कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट लाने की शर्त लगाई गई. सीएम तीरथ का कहना है कि कोविड नेगटिव रिपोर्ट लाने की अनिवार्यता 1 अप्रैल से नहीं होगी. इसके अलावा त्रिवेंद्र सरकार का एक और बड़ा विवादास्पद फैसला हुआ था जो कुमाऊं और गढ़वाल के 2-2 जिलों को मिलाकर गैरसैण कमिश्नरी गठन का था. सीएम का कहना है कि गैरसैंण कमिश्नरी के मुद्दे पर सरकार जनभावना के साथ जाएगी.
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