उत्तराखंड : करोड़ों में बना था स्टेट गेस्ट हाउस, रिसने लगीं VVIP कमरों की छतें
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स्टेट गेस्ट हाउस में छत चूने से कमरे में भरा पानी.
लुधियाना की नियाग्रा मेटल्स इंडिया कंपनी ने तीन साल पहले इस अतिथि गृह का निर्माण कार्य किया था, लेकिन गुणवत्ता की मिसाल यह है कि बारिश का पानी छत से टपक रहा है और व्यवस्था ऐसी है कि सुध लेने वाला कोई नहीं.
पुलकित शुक्ला
हरिद्वार. अटल बिहारी वाजपेयी स्टेट गेस्ट हाउस के निर्माण कार्य की गुणवत्ता की हकीकत तीन सालों में ही सामने आ गई. साल 2017 में करीब 17 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए गेस्ट हाउस की छतों से बारिश का पानी टपक रहा है. खास बात ये है कि गेस्ट हाउस के जिन कमरों में बारिश का पानी भर रहा है, वे वीवीआइपी रूम हैं, जिनमें मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों को ठहराया जाता है. लापरवाही और लेटलतीफी का आलम यह है कि संबंधित विभाग से बार बार समस्या की शिकायत किए जाने के बावजूद न तो कोई मरम्मत हो पा रही है और ठेके पर निर्माण करने वाली कंपनी तो शिकायत पर जवाब तक नहीं दे रही.
गेस्ट हाउस के व्यवस्था अधिकारी गिरधर प्रसाद बहुगुणा ने बताया कि कई बार इसके लिए विभागीय अधिकारियों को जानकारी दी गई, लेकिन अभी तक गेस्ट हाउस की मरम्मत नहीं हो पाई. उनके अनुरोध पर मेलाधिकारी दीपक रावत ने गेस्ट हाऊस की मरम्मत के लिए पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को निर्देश दिए. पीडब्ल्यूडी के अधिकारी कई बार बिल्डिंग का निरीक्षण कर चुके हैं, हालांकि अभी मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ है.
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अर्ध कुंभ 2016 की निधि से कार्यदायी संस्था गढ़वाल मंडल विकास निगम ने लुधियाना की कंपनी नियाग्रा इंडिया मेटल्स लिमिटेड से गेस्ट हाउस का निर्माण कराया था. 24 कमरों के स्टेट गेस्ट हाउस के निर्माण में करीब 17 करोड़ रुपये की लागत आई थी. बिल्डिंग निर्माण में कमियां सामने आने के बाद अधिकारियों ने कंपनी को मरम्मत करने के लिए पत्र भी लिखे, लेकिन कंपनी ने अभी तक इनकी कोई सुध नहीं ली. फिलहाल राज्य संपत्ति विभाग गेस्ट हाउस का संचालन कर रहा है.
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