आसाराम का ऐसा खौफ! अपने गांव के बगल में उनका आश्रम नहीं बनने देना चाहते लोग
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कभी जिस आध्यात्मिक गुरु आसाराम बापू के पांव छूने के लिए देश और दुनिया के भक्त लाइन लगाकर खड़े रहते थे, जिनकी आध्यात्मिक शक्ति का बखान उनके भक्त करते नहीं थकते थे. आज उसी आसाराम के नाम से भी लोग खौफ खाने लगे हैं.
Uttarakhand News: राजस्थान की जेल में बंद आसाराम बापू के नाम का हल्द्वानी में ऐसा खौफ कि यहां के लोग आसाराम का आश्रम तक अपने करीब नहीं देखना चाहते हैं.
ग्रामीण आसाराम के आश्रम के विरोध में उतर आए हैं. लोगों को डर है कि आसाराम का आश्रम पड़ोस में बनने से उनकी बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगी. लिहाजा ग्रामीणों ने विरोध का झंडा उठा लिया है. ग्रामीणों ने डीएम से आश्रम निर्माण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से आश्रम निर्माण पर रोक के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगाई है। प्रभारी सिटी मजिस्ट्रेट रिचा सिंह के मुताबिक, पूरे मामले में कानूनी पक्ष जांचने के बाद भी तय किया जा सकता है कि आश्रम निर्माण कराया जा सकता है या नहीं.
यहां बन रहा है आसाराम का आश्रम
हल्द्वानी से सटे गोरापड़ाव के हरिपुर शिवदत्त गांव में इन दिनों आसाराम बापू के आश्रम का काम जारी है. इसी गांव के रहने वाले रमेश राम आर्या और उनकी पत्नी आसाराम के भक्त हैं. इसलिए उन्होंने अपनी एक बीघा जमीन आसाराम बापू से जुड़े ट्रस्ट को दान में दी है, जिस पर इन दिनों आश्रम निर्माण का कार्य हो रहा है. जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. आश्रम के विरोध के पीछे लोगों की दलील आसाराम के चरित्र को लेकर है. स्ठान निवासी इंदर आर्य का कहना है कि जो व्यक्ति लड़कियों से बलात्कार, यौन शोषण जैसे मामलों में जेल में बंद हो उसका आश्रम गांव में बनने से गांव की छवि खराब होगी.
उत्तराखंड में हल्द्वानी के करीब गोरापड़ाव के एक गांव के ग्रामीण आसाराम से ऐसे खौफ खाए बैठे हैं कि उनका आश्रम तक अपने बगल में नहीं बनने देना चाहते.
स्थानीय निवासी हेमा आर्या का भी दावा है कि महिलाओं पर गलत निगाह रखने वाले और संत के चोला ओढ़ने वाले आसाराम की हकीकत अब दुनिया के सामने आ चुकी है. इसलिए ऐसे बलात्कारी संत का आश्रम गांव में नहीं बनने दिया जा सकता, क्योंकि ऐसे व्यक्ति का आश्रम बनने से गांव की महिलाएं सुरक्षित नहीं रह पाएंगी. इसलिए वो लोग आश्रम का विरोध कर रहे हैं. अगर आसाराम ट्रस्ट को इस जमीन पर निर्माण करवाना ही है तो हॉस्पिटल का निर्माण करवा दे या कोई जन उपयोगी भवन बना दे, जिसका फायदा ग्रामीणों को मिल सके.
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