आखिर क्या है उत्तराखंड में कोरोना से हो रही मौतों की बड़ी वजह?
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राजे खेमे के बीजेपी के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत और प्रहलाद गुंजल का कहना है कि गहलोत सरकार ने गांव और गरीब को उनके हाल पर छोड़ दिया है.
Coronavirus in Uttarakhand : आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले 40 दिनों और पिछले 10 दिनों में स्थिति किस तरह गंभीर ही नहीं चिंताजनक हो चुकी है. जानिए आंकड़े क्या कह रहे हैं और सरकार क्या कह रही है.
जानकारों ने कुंभ के आयोजन को कोरोना संक्रमण के लिहाज़ से सुपर स्प्रेडर माना है.
76% मौतें अस्पतालों में, चौंकाते आंकड़े ओमप्रकाश के मुताबिक अब तक राज्य में कोविड से जितनी मौतें हुई हैं, उनमें से तीन चौथाई से ज़्यादा अस्पतालों में इलाज करवा रहे मरीज़ों के मामले हैं. यही नहीं, उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के और भी आंकड़े कम गंभीर नहीं हैं. आधिकारिक डेटा कह रहा है कि उत्तराखंड में अब तक 3896 कोविड मौतों में से 30 फीसदी मई महीने के ही पहले दस दिनों में हुईं.
इसी महीने में स्थिति कितनी खराब हुई है, इसकी एक और बानगी यह है कि पिछले साल से अब तक राज्य में 2.49 लाख केस सामने आए हैं, लेकिन 2 मई से 10 मई के बीच आए केसों की संख्या कुल केसों की 25 फीसदी है. 32 फीसदी केस अप्रैल महीने में आए जबकि कुल केसों के 57 फीसदी पिछले 40 दिनों में. ये भी पढ़ें : उन 23 मरीज़ों का पता चला, जो दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल से हुए थे ‘लापता’
उत्तराखंड के प्रमुख सचिव के बयान संबंधी ट्वीट.
एक्टिव केसों का आंकड़ा भी राज्य के लिए लगातार चिंता का विषय बना हुआ है. 1 अप्रैल को जहां उत्तराखंड में 2236 एक्टिव केस थे, वहीं 10 मई को 74,480 केस हैं. गौरतलब है कि राज्य में हरिद्वार महाकुंभ का आयोजन अप्रैल के महीने में हुआ, जिसे सभी जानकार सुपर स्प्रेडर मान रहे हैं.
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